Wednesday, November 12, 2008

कोसी के पुनर्निर्माण को कैबिनेट की मंजूरी

जागरण याहू स्टोरी
Nov 12, 01:48 am

पटना। कोसी नदी की बाढ़ से तबाह इलाकों का 14 हजार 808 करोड़ रु. की लागत से पुनर्निर्माण होगा। सरकार ने महत्वाकांक्षी योजना तैयार की है जिसे मंगलवार को कैबिनेट की मंजूरी दे दी गयी। इसमें जन प्रतिनिधियों की भी भागीदारी रहेगी। बैठक में विश्वविद्यालयों के सेवानिवृत्त कर्मियों का बकाया, पेंशन भुगतान व कर्मियो के बकाया भुगतान के लिए दो सौ करोड़ की स्वीकृति दी गयी है। ग्रेटर पटना के विकास को महानगर योजना समिति नियमावली व नगरपालिका कैडर नियमावली को मंजूरी मिल गयी। वहीं अनुबंध पर सिटी मैनेजर की नियुक्ति को परीक्षा की जिम्मेदारी संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद को सौपी गई।

बैठक के बाद कैबिनेट सचिव गिरीश शंकर ने बताया कि उत्तर बिहार में कोसी की बाढ़ से भारी तबाही के बाद राहत व बचाव के पश्चात अब प्रभावित आबादी के दीर्घकालीन पुनर्वास, इलाके के पुनर्निर्माण की आवश्यकता है। इसके लिए कोसी पुनर्निर्माण एवं पुनर्वास नीति को मंजूरी दी गयी है। कोसी पुनर्वास एवं पुनर्निर्माण परियोजना व्यापक बहु-प्रक्षेत्रीय परियोजना है। इसमें प्रभावित लोगों के मकान का निर्माण, सामुदायिक सुविधा, आधारभूत संरचना व्यवस्था, अर्थव्यवस्था एवं परिस्थितिकी को कायम रखने की नीति पर आधारित जीविका आदि का कार्यक्रम तैयार किया जाना है। नयी प्रक्रिया में प्रभावितों एवं संबंधित संस्थाओं जैसे पंचायती राज संस्थाएं, नगर निकायों को शामिल किया जाएगा और उनकी प्राथमिकता व आवश्यकता के आधार पर योजनाओं की रूपरेखा तैयार की जाएगी। निजी क्षेत्रों व गैर सरकारी संस्थाओं की भी मदद ली जाएगी।

कोसी पुनर्निर्माण के लिए तैयार कार्य योजना एवं अन्य नीतिगत निर्णयों की स्वीकृति मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय समिति द्वारा दी जाएगी। इसमें उप मुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री के अतिरिक्त संबंधित विभागों के मंत्री, मुख्य सचिव, विकास आयुक्त, वित्त सचिव, आपदा सचिव सदस्य होंगे। जिला स्तर पर जिला प्रभारी मंत्री की अध्यक्षता में अनुश्रवण समिति का गठन किया जाएगा जिसमें संबंधित क्षेत्रीय सांसद, विधायक, निकायों के अध्यक्ष व मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के सदस्य शामिल रहेंगे। कोसी नवनिर्माण एवं पुनर्वास की सभी योजनाओं की मंजूरी विकास आयुक्त की अध्यक्षता में नवगठित योजना प्राधिकृत समिति देगी। इसमें विभिन्न विभागों के सचिव रहेंगे।

इसके अलावा विधानमंडल का आगामी सत्र 2 दिसम्बर से आहूत करने के प्रस्ताव को भी कैबिनेट ने हरी झंडी दे र्दी। 8 दिसम्बर तक चलने वाले सत्र के दौरान पांच बैठकें होंगी। 3 को द्वितीय अनुपूरक पेश किया जाएगा।

स्टाम्प नियमावली में संशोधन करते हुए नयी परिस्थिति में अब नये स्टाम्प वेंडरों की नियुक्ति नहीं करने का फैसला किया गया है। वहीं डाकघरों से न्यायालय शुल्क स्टाम्पों की बिक्री फ्रैंकिंग मशीन से प्रारंभ करने का निर्णय किया गया है। समाज कल्याण विभाग के प्रस्ताव पर चर्चा के बाद मानव व्यापार को रोकने एवं पीड़ितों के पुनर्वास के लिए राज्य कार्य योजना 'अस्तित्व' को मंजूरी दी गयी। राज्य में आईआईटी की स्थापना के लिए मेगा औद्योगिक पार्क के तहत प्रस्तावित 500 एकड़ जमीन के अधिग्रहण की योजना का कुल 120.30 करोड़ के अनुमानित व्यय पर प्रशासनिक स्वीकृति देते हुए चालू वर्ष में 50 करोड़ रुपये आधारभूत संरचना विकास प्राधिकार को रिलीज करने की मंजूरी दी गयी। वहीं एनआईटी पटना के लिए मेगा औद्योगिक पार्क के अंतर्गत प्रस्तावित 100 एकड़ भूमि अधिग्रहण योजना का कुल 28.13 करोड़ के अनुमानित व्यय पर प्रशासनिक स्वीकृति तथा चालू वर्ष में 10 करोड़ रुपये आधारभूत संरचना विकास प्राधिकार को रिलीज करने की स्वीकृति दी गयी। इससे संस्थान को नया परिसर व भवन निर्माण का रास्ता साफ होगा। नये परिसर में विभिन्न स्नातक स्तरीय अभियंत्रण पाठ्यक्रमों में सीटों की संख्या में वृद्धि होगी। चूंकि एनआईटी पटना में 50 फीसदी सीटें एआईईईई के माध्यम से राज्य के छात्रों का नामांकन होता है इसलिए सीटों की संख्या में वृद्धि के फलस्वरूप संस्थान के 50 फीसदी सीटों पर राज्य के छात्रों के नामांकन की सुविधा उपलब्ध हो जाएगी। कैबिनेट ने राज्य फिल्म विकास एवं वित्त निगम पटना के परिसमापन के प्रस्ताव को वापस लेने लेने पर अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है।

मुंबई पैसा जाएगा तो आदमी भी जाएगा: नीतीश

जागरण याहू स्टोरी
Nov 12, 01:49 am

पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुंबई में बिहारियों की पिटाई के लिए जिम्मेवार मुंबई नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे व उसे समर्थन दे रही कांग्रेस सरकार पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि मुंबई में बिहार का पैसा जायेगा तो बिहारी भी वहां जायेगा। उन्होंने कहा कि बिहार का पैसा मुंबई में लगे ठाकरे व उसे समर्थन देने वाली कांग्रेस की नजर में यह ठीक है मगर यहां का आदमी पसंद नहीं। यह नहीं चलेगा।

मौलाना अबुल कलाम आजाद के जन्मदिवस पर मंगलवार को गांधी मैदान में आयोजित दो दिवसीय शिक्षा दिवस समारोह का गुब्बारे उड़ा कर उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री श्री कुमार ने कहा कि सूबे में कुछ लोग 'निराशा के मसीहा' बने बैठे हैं। वे जान लें कि हम बिहार को लाठी का नहीं ज्ञान का केंद्र बनाना चाहते हैं। अब लाठी को तेल पिलाने का जमाना नहीं है। हम लाठी में तेल नहीं कलम में रोशनाई भरने का काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर प्राथमिक स्कूल से बाहर रह रहे तकरीबन दस लाख महादलित व मुस्लिम समुदाय के बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए महादलित शिक्षा व तालिमी मरकज योजनाओं का भी शुभारंभकिया। उन्होंने इसी माह चार सरकारी इंजीनियरिंग कालेजों को चालू करने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर पटना की श्रीमती रुकमिणी बनर्जी को प्रथम मौलाना आजाद शिक्षा पुरस्कार के तौर पर दो लाख रुपये नकद तथा प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। इस मौके पर अपने हाथों उन्होंने 18 बिहारी छात्र-छात्राओं को बिहार गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मुंबई पर देश को नाज है,वहां देश भर की पूंजी लगी है। संविधान ने हर नागरिक को वहां बसने की आजादी दी है मगर वहां बिहारियों को जलील करने वालों की अब हम चलने नहीं देंगे। जोश भरे अंदाज में उन्होंने कहा कि हम सूबे का इतना विकास कर देंगे कि बिहार के छात्रों को तकनीकी पढ़ाई के लिए बाहर नहीं जाना होगा बल्कि बाहर के लोगों को भी नौकरी करने के लिए यहां आना होगा। उन्होंने कहा कि सूबे में पांच नये मेडिकल खुलेंगे। इसके अलावा नेशनल इंस्टीच्यूट आफ फैशन टेक्नोलाजी सरीखे वे तमाम कोर्स जिनमें युवाओं की रूचि है बिहार में खोले जाने का विचार है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ मामलों में भले ही बिहार पीछे हो मगर कुछ मामलों में हम पथप्रदर्शक हैं। मौलाना आजाद के जन्मदिवस को शिक्षा दिवस के तौर पर दो साल से बिहार सरकार मना रही है। देर से ही सही केंद्र ने भी इसे मान लिया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने तीन साल में स्कूल नहीं जा रहे 15 लाख बच्चों को दाखिल करवाया। दस लाख बाहर रहे महादलित व मुस्लिम बच्चों को चिह्नित किया गया है तथा उन्हें स्कूल में दाखिल करने की योजना चालू की गयी है। इसके तहत उनके ही समुदाय के लोगों के जरिये उनके पठन-पाठन, भोजन व रहने के स्थान की व्यवस्था की जायेगी। उन्हें पढ़ाने की क्षमता रखने वालों को सरकार मानदेय देकर प्रोत्साहित करेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस आयोजन के जरिये सरकार के प्राथमिक से उच्च शिक्षा के विकास के तीन साल के कार्यकलाप से जुड़े विभिन्न पहलुओं को प्रस्तुत करने की कोशिश की गयी है। समारोह में मानव संसाधन विकास मंत्री हरिनारायण सिंह,पूर्व विदेश राज्य मंत्री हरिकिशोर सिंह,इमारते शरिया के महासचिव सनाउल्लाह, अल्पसंख्यक आयोग के नौशाद अहमद व मदरसा बोर्ड,वक्फ बोर्ड व संस्कृत शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष मौजूद थे।

इस मौके पर मुख्यमंत्री ने अभिवंचित वर्ग के बच्चों को स्कूल तक लाने में अहम योगदान करने के लिए पटना की श्रीमती रुकमिणी बनर्जी को प्रथम मौलाना आजाद शिक्षा पुरस्कार दो लाख रुपये नकद तथा प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।

समारोह में तकनीकी संस्थानों की प्रतियोगिता परीक्षाओं में सफल पटना के शिति कंठ को आईआईटी 2008 तथा 39वें भौतिकी ओलंपियाड में गोल्ड मेडल प्राप्त करने पर डेढ़ लाख रुपये नगद, गया की भावना सिंह को सीएलएटी 2009 पीजी में प्रथम स्थान पाने पर एक लाख रुपये ,एआईआईएमएस 2008 में सफल पटना के डा. मधुकर दयाल को 50 हजार रुपये,आईआईटी जमशेदपुर परीक्षा में तीसरा स्थान पाने वाले दरभंगा के प्रणव कुमार सिंह को 50 हजार रुपये, नेशनल इंस्टीच्यूट आफ फैशन टेक्नोलाजी परीक्षा में तृतीय पटना के रोहित कुमार को 50 हजार रुपये, यूपीएससी सेंट्रल पुलिस फोर्स परीक्षा 2008 में दूसरा स्थान पाने वाले बांका के उत्ताम कश्यप को 50 हजार तथा अंतर्राष्ट्रीय ज्योतिष ओलंपियाड में स्वर्ण पदक विजेता दानापुर के शांतनु अग्रवाल को 50 हजार रुपये व प्रशस्ति पत्र प्रदान किया। इसके अलावा बिहार संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा में एक से तीन तक रैंक लाने वाले पटना के रमण रंजन, सुशांत कुमार, राहुल मयंक व अमित कुमार, नालंदा के विनय कुमार, खगड़िया की अनामिका भारती व प्रियंका भारती, जमुई की रजनी कुमारी, सिवान के बिनोद कुमार सिंह तथा गया के शशिकांत कुमार को तीस-तीस हजार रुपये प्रदान किये गये।

इससेपहले मुख्यमंत्री ने घूम-घूम कर वहां लगाये विभिन्न स्टालों का मुआयना किया। बाद में उन्होंने वहां आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी कुछ देर तक आनंद लिया।

Sunday, November 9, 2008

राहुल में रामुलु को देखिये

हिंदी पट्टी के राज्यों के पुनर्निर्माण की चुनौती
हरिवंश
मुंबई में मारे गये उत्तर भारतीय (जिनकी सूचनाएं सार्वजनिक हुई हैं)
1) 19 अक्तूबर - रामू दास - चलती ट्रेन से फेंका था, अब तक नहीं मिला - झारखंड के खूंटी का रहनेवाला - मजदूरी करता था।
2) 19 अक्तूबर - सकलदेव रजक - ट्रेन से फेंका, मौत - झारखंड के सिंदरी का - नौकरी की तलाश में था।
3) 19 अक्तूबर - पवन कुमार - पिटाई से हुई मौत - नालंदा का रहनेवाला - परीक्षा देने गया था।
4) 27 अक्तूबर - राहुल राज - एनकाउंटर में मरा - पटना का था - राज ठाकरे की तलाश में गया था।
5) 29 अक्तूबर - धर्मदेव राय - पिटाई से हुई मौत - उत्तर प्रदेश का था - मजदूरी करता था, छठ में घर लौट रहा था।गंभीर रूप से घायल
6) 30 अक्तूबर - दीनानाथ तिवारी, पत्रकार - भगवती अस्पताल में भरती - हिंदी पट्टी का - रिपोर्टिंग के दौरान गंभीर पिटाई।

अब तक मुंबई या महाराष्ट्र में पांच उत्तर भारतीयों के मारे जाने की पुख्ता सूचना है। राज ठाकरे के ऐसे आंदोलनों के आरंभिक चरणों में नासिक, नागपुर से लेकर अन्य जगहों पर भी उत्तर भारतीय मारे गये। अपमानित हुए। कई इलाकों से रातोंरात उन्हें भागना पड़ा। हजारों की संख्या में उनकी टैक्सियां या ऑटो तोड़े गये। पान की दुकानों पर हमले हुए। यहां इन घटनाओं के ब्योरा देने का मकसद, लंबी सूची देना नहीं है। हालांकि कोई युवा समूह या एनजीओ, महाराष्ट्र के विभिन्न शहरों में हिंदी पट्टी के लोगों के साथ हुए भेदभाव, अपमान, अत्याचार, हत्या, मारपीट और उजड़ जाने की घटनाओं को एकजुट कराता, तो आधुनिक भारत का महत्वपूर्ण दस्तावेज तैयार होता। दस्तावेज इन नेताओं के लिए नहीं, शासकों के लिए नहीं, बल्कि खुद हिंदीभाषी लोगों के लिए। अतीत के इस दस्तावेज से भविष्य के लिए सबक मिलेंगे।इन वारदातों में राहुल राज की घटना दूरगामी है। अब तक प्राप्त सूचनाओं के अनुसार राहुल, पटना के कदमकुआं का रहनेवाला था। 26 अक्तूबर को वह मुंबई गया था। काम की तलाश में। पर क्या हुआ कि राहुल राज, राज ठाकरे को ढूंढने निकल पड़ा? कोई अधिकारिक ब्योरा नहीं है। सूचना है कि राहुल शांत प्रवृत्ति का लड़का था। इंट्रोवर्ट। उसके मानस पर जब बिहारियों या हिंदीभाषियों के अपमान की बात आयी होगी, तो लगता है उसके अंदर युवा आक्रोश बौखलाने लगा होगा। फिर भी उसने कहीं कोई हिंसा नहीं की। न बस में यात्रा कर रहे सहयात्रियों के साथ या न किसी अन्य मुंबईवासी के साथ। वह हिंसक होता, तो उसने किसी पर गोली चलायी होती। कहीं कोई हिंसा की होती। वह बार-बार यात्रियों से कह रहा था, मैं आपको नुकसान नहीं पहुंचाऊंगा। मुंबई के जो लोग उसके साथ बस में थे, उनका विभिन्न चैनलों पर बयान था, पुलिस समझदारी से काम लेती, तो आसानी से वह पकड़ा जाता। उसे राज ठाकरे को ही मारना होता, तो वह बस हाइजैक क्यों करता? शायद उसके दिमाग में अपने गुस्से को इसी तरह सार्वजनिक बनाने की योजना रही हो। बिना किसी को कोई हानि पहुंचाये। पर महाराष्ट्र पुलिस ने उसकी हत्या की। इसके बाद वहां के गृहमंत्री आरआर पाटील का बयान आया, गोली का जवाब गोली से देंगे। लगता है, महाराष्ट्र में राज ठाकरे बनने की होड़ लग गयी है। उपमुख्यमंत्री आरआर पाटील हों या छगन भुजबल या नारायण राणे या मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख। सबके आचरण, काम और बयान देश का संकट बढ़ानेवाले हैं। हिंदीभाषी क्षेत्रों में भी जो हिंसक प्रतिक्रिया हुई, विरोध के कटु शब्दबाण चले, वे देशहित में कतई नहीं। आज भारत को एक रखना सबसे बड़ा एजेंडा है। शायद यह गलत है, क्योंकि देश तो किसी के एजेंडे पर है ही नहीं। बहरहाल आरआर पाटील से गृहमंत्री शिवराज पाटील या भारत सरकार को यह अवश्य पूछना चाहिए कि जब हिंदी पट्टी के युवा पीटे जा रहे थे, उनकी हत्याएं हो रही थीं, तब महाराष्ट्र प्रशासन और पुलिस कहां थे? दाउद इब्राहिम के गुंडे मुंबई में आतंक मचाते रहते हैं, तब आरआर पाटील की यह गोली कहां चली जाती है? मुंबई में उग्रवादी बेखौफ विस्फोट करते हैं, तब आरआर पाटील की यह बहादुरी कहां रहती है?

Friday, November 7, 2008

Green plastics, an option to save environment


Hundred per cent biodegradable plastics is the only option to save the environment, especially in the growing economies of India and China

Published on 11/7/2008 12:44:06 PM
By Neena Bhandari

Melbourne: With plastic garbage becoming the bane of modern societies, an Indian Australian scientist says 100 per cent biodegradable plastics is the only way to go, especially in the growing populated economies of India and China.

"We are providing bio-responsible material solutions for the world market that deliver all the functionality of conventional petrochemically derived plastics in an economical, totally organic and eco-sensitive way," Melbourne-based Plantic Technologies' Chief Technology Officer (CTO) Kishan Khemani said.

Plantic Technologies manufactures starch-based polymers for packaging and other applications. Its novel technology is based on the use of high-amylose corn starch, a material derived from annual harvesting of specialised non-genetically modified (hybrid) corn unlike other bioplastics companies which convert corn starch into polymers through a complex and expensive refinery process.

"This type of starch with its unique chemical and film-forming properties allows development of a range of applications across conventional plastics markets. It is not only renewably sourced, it is biodegradable and compostable unlike petrochemically derived plastics that create significant waste management costs and major environmental problems," the CTO said.

The plastics market worldwide is about 100 million tonnes and the Asia-Pacific region caters for 19 per cent of it.

"We are doing some trials with Cadburys India for chocolate boxes and will be exploring other opportunities in India as with growing affluence, use of plastics in packaging will only grow," Khemani said.

The Chief Technology Officer sees bioplastics as the only alternative to petrochemical-based plastics, especially as crude oil resources diminish and prices spiral.

He said, "Almost 50 per cent of consumers consider at least one sustainability factor in selecting consumer packaged goods items and at the same time brand owners and retailers are demanding 'green' products. Our bioplastic uses on an average 40 per cent less energy across its entire life cycle than fossil fuel plastics."

The growth rate of petrochemical plastics is five percent per annum, but as people and governments commit to reducing greenhouse gas emissions, the market for bio-polymers is forecast to grow by 230 per cent to three lakh tonnes over the next five years.

Sustainable bioplastics may be classified as polymers using biomass, polysaccharides (starch, cellulose), protein and lipids and those derived from micro-organisms or plant cells and bio-derived monomers such as lactic acid.

From food and beverage packaging to medical, automotive and aerospace applications, the Plantic technology is being used by many international companies—WalMart, Toyota, GM, DuPont, Dow, Cadbury Schweppes, Nestle, Kellogs, Kraft, Lindt—going the 'green' packaging way.

Plantic's Biodegradable Lethal Ovitrap (BLO), which is a faster, cheaper and environmentally safer way of killing mosquitoes than interior spraying techniques, can also be very useful in India for controlling the spread of dengue.

Khemani said, "The dengue mosquito lays its eggs in a container of water such as the BLO. An insecticidal strip is placed inside the bucket, creating a 'booby trap' that kills the mosquito and the eggs before they have the opportunity to spread dengue. It eliminates the risk of traps becoming breeding sites when the insecticide becomes inactive."

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बचाएं अपनी पृथ्वी को


आप अक्सर टीवी पर यह समाचार देखते होंगे कि उत्तरी ध्रुव की ठोस बर्फ कई किलोमीटर तक पिघल गई है। इसके अलावा, ओजोन अम्ब्रेला में छेद होने की बात भी आप सुनते होंगे या फिर भयंकर तूफान उठने की खबर पढते या टीवी पर देखते होंगे! देखकर आप जरूर सोचते होंगे कि हमारे पृथ्वी ग्रह पर ऐसा क्यों हो रहा है? दरअसल, इन सभी के लिए इनसानी गलतियां जिम्मेदार हैं, जो ग्लोबल वार्मिग के रूप में हमारे सामने हैं।

क्या है ग्लोबल वार्मिग

पृथ्वी के औसत तापमान में वृद्धि ही ग्लोबल वार्मिग कहलाता है। वैसे, पृथ्वी के तापमान में बढोत्तरी की शुरुआत 20वीं शताब्दी के आरंभ से ही हो गई थी। माना जाता है कि पिछले सौ सालों में पृथ्वी के तापमान में 0.18 डिग्री की वृद्धि हो चुकी है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यदि धरती का टेम्परेचर इसी तरह बढता रहा, तो 21वीं सदी के अंत तक 1.1-6.4 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान बढ जाएगा।

क्या है ग्रीन हाउस गैस?

हमारी पृथ्वी पर कई ऐसे केमिकल कम्पाउंड पाए जाते हैं, जो तापमान को बैलेंस करते हैं। ये ग्रीन हाउस गैसेज कहलाते हैं। ये प्राकृतिक और मैनमेड (कल-कारखानों से निकले) दोनों होते है। ये हैं- वाटर वेपर, मिथेन, कार्बन डाईऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड आदि। जब सूर्य की किरणें पृथ्वी पर पडती हैं, तो इनमें से कुछ किरणें (इंफ्रारेड रेज) वापस लौट जाती हैं। ग्रीन हाउस गैसें इंफ्रारेड रेज को सोख लेती हैं और वातावरण में हीट बढाती हैं। यदि ग्रीन हाउस गैस की मात्रा स्थिर रहती है, तो सूर्य से पृथ्वी पर पहुंचने वाली किरणें और पृथ्वी से वापस स्पेस में पहुंचने वाली किरणों में बैलेंस बना रहता है, जिससे तापमान भी स्थिर रहता है। वहीं दूसरी ओर, हम लोगों (मानव) द्वारा निर्मित ग्रीन हाउस गैस असंतुलन पैदा कर देते हैं, जिसका असर पृथ्वी के तापमान पर पडता है। यही ग्रीन हाउस इफेक्ट कहलाता है।

ग्रीन हाउस गैसों के स्त्रोत

कल-कारखानों, बिजली उत्पादन आदि में फॉसिल फ्यूल (कोल, पेट्रोलियम) के जलने के कारण कार्बन डाईऑक्साइड पैदा होती है। कोयला खदान की खुदाई, तेल की खोज से मिथेन गैस पैदा होती है। साथ ही, नाइट्रोजन फर्टिलाइजर से नाइट्रस ऑक्साइड बनता है। हाइड्रो-फ्लोरोकार्बन, परफ्लोरोकार्बन, सल्फर हेक्सा-फ्लोराइड आदि गैसें आधुनिक कल-कारखानों से निकले कचरे से पैदा होती हैं, जो कि ग्रीनहाउस इफेक्ट को प्रभावित करती हैं।

ग्लोबल वार्मिग के प्रभाव

क्या आप जानते हैं कि ग्लोबल वार्मिग का प्रभाव हमारे जीवन तथा आस-पास के वातावरण पर भी पडता है? समुद्री जलस्तर का बढना, ग्लेशियर का पिघलना, उत्तरी ध्रुवों का सिकुडना आदि ग्लोबल वार्मिग के प्राइमरी परिणाम हैं। इसके अलावा, मौसम में बदलाव, ऋतुओं में परिवर्तन भी ग्लोबल वार्मिग की वजह से ही होते हैं।

ग्लोबल वार्मिग से बचाव

आपने कई बार बडे-बुर्जुगों के मुंह से क्योटो प्रोटोकोल सुना होगा। दरअसल, पृथ्वी के तापमान को स्थिर रखने के लिए दशकों पूर्व काम शुरू हो गया था। लेकिन मानव निर्मित ग्रीन हाउस गैसों के उत्पादन में कमी लाने के लिए दिसंबर 1997 में क्योटो प्रोटोकोल लाया गया। इसके तहत 160 से अधिक देशों ने यह स्वीकार किया कि उनके देश में ग्रीन हाउस गैसों के प्रोडक्शन में कमी लाई जाएगी। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि 80 प्रतिशत से अधिक ग्रीन हाउस गैस का उत्पादन करने

वाले अमेरिका ने अब तक इस प्रोटोकोल को नहीं माना है।

इन्हें भी जानें

ग्लोबल वार्मिग का प्रभाव

ओशन एसिडिफिकेशन (समुद्र अम्लीकरण) : वातावरण में कार्बन डाईऑक्साइड के बढने से समुद्र में भी इनकी मात्रा बढ जाती है। समुद्र का पानी घुले हुए co2 से रिएक्ट कर कार्बनिक एसिड बनाता है, जिससे समुद्र का पानी अम्लीय हो जाता है। यह एसिड कई समुद्री पौधों को समाप्त कर देता है, जिससे कई छोटे- छोटे जलीय जीव मर जाते हैं।

ग्लोबल डिमिंग : पृथ्वी द्वारा प्रकाश विकिरण में कमी ही ग्लोबल डिमिंग है। वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्लोबल डिमिंग की मुख्य वजह मनुष्यों द्वारा निर्मित ग्रीन हाउस गैसेज हैं।

ओजोन परत में छेद: वायुमंडल में कई प्रकार के छतरीनुमा परत होते हैं, जो हानिकारक किरणों से हमारी पृथ्वी को बचाते हैं। उन्हीं परतों में से एक का नाम स्ट्रैटोस्फेयर है। दरअसल, यह ओजोन परत है, जो सूर्य की हानिकारक अल्ट्रावॉयलेट किरणों को धरती पर पहुंचने से पहले ही सोख लेती है। वैज्ञानिकों की खोज के मुताबिक सौ वर्षो में 4 प्रतिशत की दर से ओजोन की परत घट रही है। इसे ओजोन छिद्र नाम दिया गया है।

स्मिता 

हाल ही में वैज्ञानिकों ने यह खोज की है कि ग्लोबल वार्मिग की वजह से आर्कटिक की बर्फ बड़ी तेजी से पिघल रही है। यदि बर्फ पिघलने की रफ्तार इसी तरह जारी रही, तो महासागरों में पानी बढ़ने के कारण दुनिया के अधिकांश टापू-देश डूब जाएंगे। क्या आप जानते हैं कि ग्लोबल वार्मिग क्या है?

OR Read A Jagran Yahoo Report in 
http://in.jagran.yahoo.com/junior/?page=article&articleid=3110&edition=2008-11-07&category=11

Tuesday, November 4, 2008

चांद पर 2015 तक तक पड़ेंगे भारतीय कदम


 
Nov 04, 05:54 pm

गांधीनगर। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान [इसरो] के अध्यक्ष डाक्टर जी माधवन नायर ने कहा है कि भारतीयों का चांद पर पहुंचने का स्वप्न 2015 तक हकीकत में बदल सकता है।

नायर इंडियन नेशनल कारटोग्राफिक एसोसिएशन [आईएनसीए] अंतरराष्ट्रीय कांग्रेस 2008 के 28वें तीन दिवसीय समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा किभारतीय चंद्र अभियान के तहत मानव रहित चंद्रयान-1 को सफलतापूर्वक 22अक्टूबर 2008 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से छोड़ा गया और चंद्रयान द्वितीय को 2010-11 तक छोड़ने की उम्मीद है।

नायर ने कहा कि भारत के इस अभियान को चंद्रमास अभियान या चंद्र सैर के नाम से भी जाना जाता है। चंद्रयान प्रथम आठ नवंबर को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर जाएगा।

इस महान सफलता से भारत दुनिया का चौथा देश है जो मून क्लब मेंबर में शामिल हो जाएगा। इसके पूर्व अमेरिका, रूस और जापान ही इस क्लब में शामिल थे।

उन्होंने कहा कि भारत चार दशक से अंतरिक्ष अभियान में जुटा हुआ है। इसकी नींव प्रसिद्ध वैज्ञानिक डाक्टर विक्रम साराभाई ने रखी थी। उन्होंने कहा कि भारत आज इस क्षेत्र में कई सफलताएं हासिल कर इनसेट और आईआरएस सेटेलाइट्स के जरिये देश के अलावा अन्य कई देशों को सेवा उपलब्ध करा रहा है।


चंद्रमा के अंतरिक्ष में पहुंचा चंद्रयान-1

 
Nov 04, 12:25 pm

बेंगलूरू। चंद्रमा के लिए भारत का पहला मानवरहित अंतरिक्षयान चंद्रयान-1 मंगलवार सुबह चंद्रमा के अंतरिक्ष में पहुंच गया। चंद्रयान शनिवार को चंद्रमा की अपनी निर्धारित कक्षा में प्रवेश करेगा।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन [इसरो] के निदेशक एस सतीश ने बताया कि चंद्रयान को चंद्रमा के अंतरिक्ष में भेजने की कार्रवाई बहुत बढि़या तरीके से संपन्न हुई। सुबह पांच बजे के करीब उच्च तरल मोटर [लिक्विड एपजी मोटर, एलएएम] दागी गई। जिसने चंद्रयान को पृथ्वी से 380,000 किलोमीटर दूर चंद्रमा की ओर धकेल दिया।

अब चंद्रयान चंद्रमा से 1000 किमी दूर है। गौरतलब है कि धरती से चांद की दूरी 3,84,000 किमी है। चंद्रयान-1 को आठ नवंबर को चांद की सतह से 100 किमी दूर स्थित निर्धारित कक्षा में स्थापित करने की अगली जटिल प्रक्रिया के लिए तैयारियां शीघ्र ही आरंभ की जाएगी।

चंद्रयान में छह विदेशी उपकरणों सहित कुल 11 वैज्ञानिक उपकरण लगे है। इनमें अमेरिका के दो, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के तीन और बुल्गारिया का एक उपकरण शामिल है। अन्य पांच का डिजाइन और निर्माण इसरो ने किया है।

चंद्रयान 29 अक्टूबर से ही पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगा रहा है। कक्षा की पृथ्वी से अधिकतम दूरी 267,000 किमी और न्यूनतम दूरी 465 किमी है।

गौरतलब है कि चंद्रयान-1 को श्रीहरिकोटा के प्रक्षेपण केंद्र से 22 अक्टूबर को प्रक्षेपित किया गया था।







Indian Moon probe pictures Earth

From BBC News Service

Earth (ISRO)
The terrain mapping camera will eventually help compile an atlas of the Moon

India's Chandrayaan 1 spacecraft has sent back its first images.

The probe was launched on 22 October to embark on a two-year mission of exploration at the Moon.

Ground controllers in Bangalore instructed the probe to take pictures with its Terrain Mapping Camera as the spacecraft made a pass of the Earth.

Chandrayaan also fired its engines for three minutes to carry out an orbit raising manoeuvre which takes the probe closer to the lunar body.

That was the fourth manoeuvre of its type made by the spacecraft, extending its orbit to more than half the distance to the Moon.

Just one more like it is required to take Chandrayaan into the Moon's vicinity, at a distance of 384,000km from Earth.

Keeping up

The first images, taken at an altitude of 9,000km, show the northern coast of Australia while others, snapped at a height of 70,000km, show Australia's southern coast.

Earth (ISRO)
The camera takes black and white images at a resolution of 5m

The Terrain Mapping Camera is one of the eleven scientific instruments aboard Chandrayaan 1. The camera takes black and white pictures at a resolution of about 5m.

Once Chandrayaan reaches the Moon, it will slip into orbit to compile a 3D atlas of the lunar surface and map the distribution of elements and minerals.

The mission is regarded as a major step for India as it seeks to keep pace with other spacefaring nations in Asia.

The health of Chandrayaan 1 is being continuously monitored from the ISRO Telemetry, Tracking and Command Network (ISTRAC) in Bangalore with support from Indian Deep Space Network antennas at Byalalu.

The Indian Space Research Organisation (ISRO) - the country's space agency - says that all systems have been performing well. 





Flying car 'could be a reality within two years'

(From PTI News Service)

London, Nov 3 (PTI) Flying cars may soon leap from the world of science fiction into reality, if automobile engineers are to be believed.
A team at Moller International is designing a flying car, called 'Autovolantor', based on a 200,000-pounds Ferrari 599 GTB model, which it claims would be in the market in just two years' time.

According to them, the vehicle will have the ability to take off vertically and hover, thanks to its eight powerful thrusters which direct air down for take off. Vents then tilt so the car can fly forward.

The flying car is expected to be able to do 100 mph on the ground and 150 mph in the air. The calculated airborne range is 75 miles and ground range is 150 miles.

Chief Designer Bruce Calkins said that the flying car "features a specially designed hybrid fuel and electric system to power the thrusters, creating as much as 800 horse power", and it would be able to fly at altitudes of up to 5,000 ft.

"The Autovolantor is powered by eight fans mounted in the fuselage of the vehicle. On the ground these fans push the vehicle around with a firm but not-too-powerful thrust of deflected air. Small vanes in the exit area of the ducts can direct the air forward or back, or remain in the neutral position for vertical take off and landing.

"Once in the air the vehicle manoeuvres like a helicopter, tilting nose down to move forward, rolling right or left for changes in direction. While maximum altitude could be much higher, the energy to obtain altitudes above 5,000 ft would be significant and so we expect it to stay below that height," 'The Daily Telegraph' quoted Calkins as saying. PTI

Saturday, November 1, 2008

Giant hydropower plant fully operational

By Zhang Qi (China Daily)
Updated: 2008-10-30 10:31
in CHINA DAILY

The last generator of China's Three Gorges Dam on the Yangtze River went online yesterday, meaning that the world's largest hydropower plant has become fully operational.

Launched in 1993, the project's original plan called for the 26 generators to produce 84.7 billion kWh of electricity annually after its completion.

This was later expanded to include six more turbines installed underground by 2012 to reach a capacity of 22,500 MW.

The project, operated by China Three Gorges Project Corporation (CTGPC) at a total cost of 180 billion yuan, now provides a total installed capacity of 18,200 MW with 26 generators, each with an installed capacity of 700 MW.

The electricity generated by the project fuels 15 provinces in central, eastern and southern China, easing power shortages in industrial regions.

China is increasingly turning to hydropower as a clean, alternative solution to its growing energy demand.

Hydropower is expected to account for 28 percent of the country's total power generation by 2015, up from the current 20 percent, according to the National Development and Reform Commission.

"The Three Gorges Project indicates how far China has progressed in renewable energy, being the leader in the hydroelectric field in terms of unit design, manufacturing, installation and operation," said Lin Chuxue, vice-president of CTGPC.

China now has a total installed hydropower capacity of 145 million kW.


OR Read in
http://www.chinadaily.com.cn/bizchina/2008-10/30/content_7158350.htm

The pictorial and numerical data of Elleptical orbits of Chandrayaan-1

The two educative links for pictorial and numerical data of Ellipticalorbits of Chandrayaan-1 have been provided in
http://www.hindu.com/seta/2008/10/30/stories/2008103050121400.htm

and numerically here:
http://www.unmannedspaceflight.com/index.php?showtopic=2686&st=90

Numerical Table as per new Orbit Transfer Strategy (Chandrayaan-I) ...Earth Bound ओर्बिट्स
१. Elliptical orbit - Perigee: 255km, Apogee: 22,८६०km
२. Highly Elliptical orbit - Perigee: 300kmApogee: १६००००km
3. Intermediate transfer orbit - Perigee: 300kmApogee: 2,60,०००km
4. Extremely high elliptical orbit: Perigee: 300kmApogee: 3,87,०००km
५. Extremely high elliptical orbit: Perigee: 2०००kmApogee: 3,84,०००km

Moon Bound ओर्बिट्स
1। Lunar orbit 1 - Perigee: 500kmApogee: 5000km
2. Lunar orbit 2 - Perigee: 100kmApogee: 5000km
3. Lunar orbit 3 - Perigee: 100kmApogee: 100km

Thursday, October 30, 2008

Chandrayaan a shot in the arm, ISRO plans next mission

Press Trust Of India

Bangalore: With Chandrayaan-1 well on its way to moon without any glitch, Indian Space Research Organisation (ISRO) has now initiated a dialogue with its Russian counterpart on worksharing of Chandrayaan-2 which features a lander and a rover.

"Conceptual studies are in place. Overall configuration is finalised but the scientific experiments are yet to be finalised. It may take six months (for finalisation)", ISRO Chairman G Madhavan said.

"The lander will be from Russia. The Russian space agency is cooperating with us. The rover will be a joint development between Russia and India.

Many of the scientific instruments (payloads on board Chandrayaan-2) will be from India", Nair, also Secretary in the Department of Space, said.

Unlike the Chandrayaan-1, which will orbit the moon at an altitude of 100 km mapping topography and the mineralogical content of the lunar soil, the Chandrayaan-2 mission involves a lunar orbiting spacecraft and a lander and a rover on the moon's surface.

Project Director of Chandrayaan-1 Mayilsami Annadurai said the Government has approved a Rs 4.25-crore budget for the Chandrayaan-2 venture, with seed money of Rs 50 crore already in place.

Even for building the lander, India can contribute its expertise, Annadurai said, adding, work-sharing discussions on the mission (who will do what) are in progress with the Russian space agency.

Note: The Launching Pad for the next mission Chandrayaan -2 is already under construction in Heavy Engg. Corpn. at Ranchi. We are proud of this achievement as the Launching Pad for Chandrayaan-1 was also built here in HEC itself.

Wednesday, October 29, 2008

Chandrayaan-1 gets closer to Moon

Bangalore, Oct 29 (PTI) The fourth orbit-raising manoeuvre of Chandrayaan-1 was carried out today which took the lunar spacecraft closer to the moon, the Indian Space Research Organisation said here।During this operation at 0738 hours, the spacecraft's 440 Newton liquid engine was fired for about three minutes, the Bangalore-headquartered space agency said in a statement."With this, Chandrayaan-1 entered into a more elliptical orbit whose apogee (farthest point to earth) lies at 2,67,000 km while the perigee (nearest point to earth) lies at 465 km. Thus, Chandrayaan-1 spacecraft's present orbit extends more than half the way to the moon," ISRO said.In this orbit, the spacecraft takes about six days to go round the earth once.The health of the spacecraft is being continuously monitored from the Spacecraft Control Centre at ISRO Telemetry, Tracking and Command Network (ISTRAC) here with support from Indian Deep Space Network antennas at Byalalu near here.ISRO said all systems on board the spacecraft are performing normally.One more orbit raising manoeuvre is scheduled to send the spacecraft to the vicinity of the moon at a distance of about 3,84,000 km from the earth, it said. -PTI रिपोर्ट.

Monday, October 27, 2008

The Three Reports

Sunday, October 26, 2008

कैग ने गृह मंत्रालय की खिंचाई की



Oct 26, 02:27 pm

नई दिल्ली। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक [कैग] ने राष्ट्रीय सुरक्षा पर मंत्री समूह [जीओएम] के आदेशों का उल्लंघन कर बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मियों को मंत्रालयों एवं दूसरे सरकारी कार्यालयों में तैनात करने को लेकर गृह मंत्रालय की खिंचाई की है।

संसद में अपनी रिपोर्ट पेश करते हुए कैग ने कहा कि गृह मंत्रालय ने जीओएम के आदेशों को लागू करने के बजाए बीएसएफ और सीआरपीएफ को मंत्रालय के कामों में लगाया। इसने कहा कि सुरक्षाकर्मियों की तैनाती का विश्लेषण करने पर पाया गया कि विभिन्न रैंकों के सुरक्षाकर्मियों को बड़ी संख्या में मंत्रालयों एवं अन्य सरकारी कार्यालयों में गृह मंत्रालय की अनुशंसा पर तैनात किया गया। कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि बीएसएफ और सीआरपीएफ के मुख्यालयों और इसके महानिदेशक के दिल्ली कार्यालयों में सुरक्षाकर्मियों की संख्या स्वीकृत संख्या की तुलना में बहुत ज्यादा है। ऐसा इसलिए है कि बड़ी संख्या में सुरक्षाकर्मियों को उनके सामान्य कार्यस्थल से हटाकर मुख्यालयों में कई सालों तक उनकी तैनाती कर दी जाती है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि बीएसएफ के मामले में अनधिकृत अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती 168 फीसदी है, जबकि सीआरपीएफ के मामले में यह 32 फीसदी है। कैग की रिपोर्ट में बताया गया है कि सुरक्षाकर्मियों को कार्यस्थलों से हटाकर दिल्ली स्थित उनके महानिदेशकों के कार्यालयों में तैनात करने से राजकोष को जबरदस्त हानि हुई। कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि सार्वजनिक क्षेत्र की ईकाईयों को सुरक्षा उपलब्ध कराने वाली सीआईएसएफ को लंबे समय से उसकी सेवा के बदले आठ करोड़ 12 लाख रुपये का बिल भुगतान नहीं किया गया। बिल का भुगतान नहीं करने वालों में एयरपोर्ट अथारिटी आफ इंडिया, हिंदुस्तान आर्गेनिक केमिकल्स और हिंदुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटेड शामिल हैं। कैग ने आईटीबीपी के महानिरीक्षक की भी खिंचाई की है। इसने कहा कि उसके कार्यस्थलों से 30 से 40 गाडि़यों को अवैध तरीके से हटाकर मुख्यालय में तैनात किया गया है। इससे 2002-03 से 2006-07 के बीच पेट्रोल, डीजल और रखरखाव पर एक करोड़ 39 लाख रुपये बर्बाद किए गए।





जलवायु परिवर्तन संस्थान कायम करने की सिफारिश


 
Oct 26, 02:28 pm

नई दिल्ली। संसद की एक समिति ने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के मकसद से पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय या विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत एक राष्ट्रीय संस्थान कायम करने की सिफारिश की है।

संसद में हाल में पेश की गई विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और पर्यावरण संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह सिफारिश की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने और विभिन्न उपाय अपनाने के लिए व्यापक अध्ययन एवं शोध तथा उच्च स्तरीय तकनीकी विशेषज्ञता की जरूरत है।

अन्नाद्रमुक नेता की अध्यक्षता वाली इस समिति ने कहा कि मौसम बदलाव और इसके प्रभावों से निपटने के लिए राष्ट्रीय अनुसंधान एजेंडा की पहल करने की जरूरत है। इसके लिए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय या विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत अलग से एक राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन संस्थान कायम किया जा सकता है।

दुनिया के तापमान में हो रही वृद्धि और भारत पर इसके प्रभाव के बारे में समिति की रिपोर्ट में कहा गया कि जलवायु परिवर्तन के बारे में इस बात को लेकर चिंताएं हैं कि इससे हिमालयी ग्लेशियर पर विपरीत असर पड़ सकता है और यह पिघल सकते हैं। कुछ अनुमानों के अनुसार हमारे ग्लेशियर पिछले 40 सालों में 21 प्रतिशत पिघले हैं। समिति ने कहा कि पिछले पचास सालों में हालांकि कई राष्ट्रीय संस्थानों और विश्वविद्यालयों ने विभिन्न प्रयास किए हैं, लेकिन फिर भी भारतीय ग्लेशियरों पर दुनिया में सबसे कम अध्ययन हुआ है।

संसदीय समिति ने कहा कि हिमालयी ग्लेशियरों के बारे में अनुसंधान प्रयासों को मजबूती देने की आवश्यकता है। रिपोर्ट में कहा गया कि मध्य दक्षिण पूर्व एवं दक्षिण पूर्व एशिया में विशेषकर इनकी बड़ी नदियों की घाटियों में ताजे जल की उपलब्धता 2050 तक कम होने का पूर्वानुमान व्यक्त किया गया है। यह सीधे तौर पर हमारे लिए चिंता की बात है। इसमें कहा गया कि एशिया के तटवर्ती क्षेत्र विशेषकर दक्षिण पूर्व एवं दक्षिण पूर्व एशिया के विशाल डेल्टा क्षेत्र में बाढ़ के रूप में समुद्री जल घुस आने की आशंका अधिक है और कई मामलों में नदियों में भी भीषण बाढ़ आने का खतरा है। इन खतरों से हमारे विशाल डेल्टा क्षेत्र विशेषकर सुंदरवन अछूते नहीं रहेंगे।

समिति के अनुसार अनुमान व्यक्त किया जा रहा है कि जलवायु परिवर्तन से तेजी गति से हो रहे शहरीकरण, औद्योगिकीकरण और आर्थिक विकास से जुड़े प्राकृतिक संसाधनों और पर्यावरण पर दबाव बढ़ जाएगा। इसने कहा कि दक्षिण पूर्व एवं दक्षिण पूर्व एशिया में जलवायु परिवर्तन के कारण बाढ़ एवं सूखे की वजह से होने वाली बीमारियों एवं मृत्यु का खतरा भी बढ़ सकता है।

रिपोर्ट में कहा गया कि जलवायु परिवर्तन के मामले में भारत की अधिक मजबूत स्थिति नहीं होने के कारण यह जरूरी है कि इसके प्रभावों को कम करने के उपाय अपनाने के अलावा गरीबी कम करने के प्रयासों को तेज किया जाए।





परमाणु अनुसंधान के कोष पर केंद्र की खिंचाई

ajagran-yahoo report




Oct 26, 01:20 pm

नई दिल्ली। संसद की एक स्थायी समिति ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र [बीएआरसी] सहित देश के प्रमुख संस्थानों की अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं के लिए कोष में कमी किए जाने पर सरकार की जमकर खिंचाई की है।

विज्ञान प्रौद्योगिकी पर्यावरण एवं वन मामलों की संसदीय समिति ने परमाणु ऊर्जा विभाग से कहा है कि वह अपने कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त कोष आवंटन का मामला आगे बढ़ाए। समिति ने पाया कि बीएआरसी इंदिरा गांधी सेंटर फार एटामिक रिसर्च, वेरिएबल एनर्जी साइक्लोट्रोन सेंटर, राजा रमन्ना सेंटर फार एडवांस्ड टेक्नोलॉजी, टाटा इंस्टीट्यूट आफ फंडामेंटल रिसर्च सहित विभिन्न संस्थानों में अनुसंधान एवं विकास की योजनाओं के लिए कोष में कटौती कर दी गई।

समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि प्रमुख प्रौद्योगिकियों के व्यापक अनुसंधान एवं विकास में जुटे अग्रणी संस्थानों के कोष में कटौती की गई है। निश्चित रूप से इससे परमाणु ऊर्जा के लिए किए जा रहे अनुसंधान एवं विकास पर असर पड़ेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि समिति यह नहीं समझ पा रही है कि कोष आवंटन में कटौती के बाद विभाग परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में अपने लक्ष्य हासिल कैसे करेगा।

समिति ने उम्मीद जताई है कि भविष्य में योजना आयोग और वित्त मंत्रालय विभाग के आवंटन को अंतिम रूप देते समय पूरी सावधानी बरतेंगे। सरकार ने समिति को बताया कि उसने वित्त मंत्रालय और योजना आयोग का ध्यान इस ओर आकर्षित किया है और भविष्य में विभाग के आवंटन को अंतिम रूप देते समय पूरी सावधानी बरती जाएगी। समिति ने कहा कि परमाणु ऊर्जा विभाग को अपने महत्वपूर्ण कार्यक्रमों एवं परियोजनाओं के लिए व्यापक आवंटन की मांग को जोरदार तरीके से आगे बढ़ाना चाहिए ताकि बजट अनुमान में इसके लिए पर्याप्त आवंटन सुनिश्चित हो सके। समिति ने यह भी कहा कि विभाग ने बजट आवंटन का प्रस्ताव रखने या उसे अंतिम रूप देने से पहले चल रही परियोजनाओं एवं कार्यक्रमों की प्रगति की निगरानी एवं समीक्षा के लिए जो निगरानी प्रणाली विकसित की है उसे भी यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोष में कटौती की कोई संभावना न रहे। सरकार ने समिति को बताया कि वर्तमान निगरानी प्रणाली कारगर तरीके से काम कर रही है।




Sunday, October 26, 2008

Chandrayaan-1 nears 75,000 km height, NASA scientists ring up ISRO, want to work in 'desi' missions

Press Trust of India News Service
1.Chandrayaan-1 nears 75,000 km height, inches closer to Moon
Bangalore, Oct 25 (PTI) India's Chandrayaan-1 has covered 20 per cent of its journey towards Moon as ISRO scientists today performed the second orbit-raising manoeuvre.
The lunar spacecraft's on-board 440 Newton Liquid engine was fired for about 16 minutes from 5.48 am.

With this engine firing, Chandrayaan-1's apogee (farthest point to earth) has been raised to 74,715 km, while its perigee (closest point to earth) has been raised to 336 km, ISRO spokesperson S Satish said.

ISRO chairman G Madhavan Nair termed today's orbit-raising operation as "record-breaking".

"So far, Indian-made satellites have reached to a height of only 36,000 km. Today's firing has taken Chandrayaan-1 to something like 75,000 km. That's well beyond what we have reached so far. It was a good event, and done precisely," Nair, also secretary in the Department of Space, said.

Indicating the complexity of the India's first unmanned lunar mission, he said when the spacecraft is closer to the earth, its gravitational field is well defined and scientists can shape the trajectory.

"When you go further and further, earth's influence comes down. Influence of Moon and Sun becomes predominant. Even other planets will have an influence on it," he said.

Moon lies at a distance of about 3,84,000 km from earth. ISRO officials said Chandrayaan-1 is expected to settle into lunar orbit, 100 km above Moon, on November 8.

All systems on board the spacecraft, launched on October 22, were functioning normally, ISRO said, adding that further orbit-raising manoeuvres to take Chandrayaan-1 to still higher orbits are planned in the next few days. PTI

2. NASA scientists ring up ISRO, want to work in 'desi' missions
Bangalore, Oct 25 (PTI) Several NASA scientists -- of Indian origin and foreigners alike -- are knocking the door of Indian Space Research Organisation looking for opportunities to work in future 'desi' space missions following the success of Chandrayaan-1 launch, a senior ISRO official said today.
Project Director of Chandrayaan-1, India's first unmanned lunar mission, Mayilsamy Annadurai says he definitely sees a "small trend" of what he calls "reverse brain-drain".

"Some of my friends and juniors working there (NASA) are looking for opportunities for working in ISRO," Annadurai said here.

He said at least half-a-dozen of them had approached him seeking openings in the Indian space agency and he knew that "a good number of foreigners" were also looking for such jobs.

Other senior ISRO officials sure would have got similar calls, he said. The question they are all asking is: "Is there any opportunity for working in future missions of ISRO".

India's Chandrayaan-1, launched on Oct 22, is carrying 11 payloads (scientific instruments) -- two from NASA, three from European Space Agency, one from Bulgaria and five from India.

"Fifty per cent of the instruments have come from outside. It's symbolic. Instead of we going there, they have come along with us as co-passengers," Annadurai said.

ISRO Chairman G Madhavan Nair said "comments and observations with envy that have come from overseas after Chandrayaan-1's launch reaffirms ISRO's matured and advanced technologies." After the launch, US Democratic Presidential nominee Barak Obama had said India's mission should be a wake-up call to America, and should remind his nation that it was getting complacent or sloppy about maintaining its position as the foremost nation in space exploration. PTI