पटना। कोसी नदी की बाढ़ से तबाह इलाकों का 14 हजार 808 करोड़ रु. की लागत से पुनर्निर्माण होगा। सरकार ने महत्वाकांक्षी योजना तैयार की है जिसे मंगलवार को कैबिनेट की मंजूरी दे दी गयी। इसमें जन प्रतिनिधियों की भी भागीदारी रहेगी। बैठक में विश्वविद्यालयों के सेवानिवृत्त कर्मियों का बकाया, पेंशन भुगतान व कर्मियो के बकाया भुगतान के लिए दो सौ करोड़ की स्वीकृति दी गयी है। ग्रेटर पटना के विकास को महानगर योजना समिति नियमावली व नगरपालिका कैडर नियमावली को मंजूरी मिल गयी। वहीं अनुबंध पर सिटी मैनेजर की नियुक्ति को परीक्षा की जिम्मेदारी संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद को सौपी गई।
बैठक के बाद कैबिनेट सचिव गिरीश शंकर ने बताया कि उत्तर बिहार में कोसी की बाढ़ से भारी तबाही के बाद राहत व बचाव के पश्चात अब प्रभावित आबादी के दीर्घकालीन पुनर्वास, इलाके के पुनर्निर्माण की आवश्यकता है। इसके लिए कोसी पुनर्निर्माण एवं पुनर्वास नीति को मंजूरी दी गयी है। कोसी पुनर्वास एवं पुनर्निर्माण परियोजना व्यापक बहु-प्रक्षेत्रीय परियोजना है। इसमें प्रभावित लोगों के मकान का निर्माण, सामुदायिक सुविधा, आधारभूत संरचना व्यवस्था, अर्थव्यवस्था एवं परिस्थितिकी को कायम रखने की नीति पर आधारित जीविका आदि का कार्यक्रम तैयार किया जाना है। नयी प्रक्रिया में प्रभावितों एवं संबंधित संस्थाओं जैसे पंचायती राज संस्थाएं, नगर निकायों को शामिल किया जाएगा और उनकी प्राथमिकता व आवश्यकता के आधार पर योजनाओं की रूपरेखा तैयार की जाएगी। निजी क्षेत्रों व गैर सरकारी संस्थाओं की भी मदद ली जाएगी।
कोसी पुनर्निर्माण के लिए तैयार कार्य योजना एवं अन्य नीतिगत निर्णयों की स्वीकृति मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय समिति द्वारा दी जाएगी। इसमें उप मुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री के अतिरिक्त संबंधित विभागों के मंत्री, मुख्य सचिव, विकास आयुक्त, वित्त सचिव, आपदा सचिव सदस्य होंगे। जिला स्तर पर जिला प्रभारी मंत्री की अध्यक्षता में अनुश्रवण समिति का गठन किया जाएगा जिसमें संबंधित क्षेत्रीय सांसद, विधायक, निकायों के अध्यक्ष व मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के सदस्य शामिल रहेंगे। कोसी नवनिर्माण एवं पुनर्वास की सभी योजनाओं की मंजूरी विकास आयुक्त की अध्यक्षता में नवगठित योजना प्राधिकृत समिति देगी। इसमें विभिन्न विभागों के सचिव रहेंगे।
इसके अलावा विधानमंडल का आगामी सत्र 2 दिसम्बर से आहूत करने के प्रस्ताव को भी कैबिनेट ने हरी झंडी दे र्दी। 8 दिसम्बर तक चलने वाले सत्र के दौरान पांच बैठकें होंगी। 3 को द्वितीय अनुपूरक पेश किया जाएगा।
स्टाम्प नियमावली में संशोधन करते हुए नयी परिस्थिति में अब नये स्टाम्प वेंडरों की नियुक्ति नहीं करने का फैसला किया गया है। वहीं डाकघरों से न्यायालय शुल्क स्टाम्पों की बिक्री फ्रैंकिंग मशीन से प्रारंभ करने का निर्णय किया गया है। समाज कल्याण विभाग के प्रस्ताव पर चर्चा के बाद मानव व्यापार को रोकने एवं पीड़ितों के पुनर्वास के लिए राज्य कार्य योजना 'अस्तित्व' को मंजूरी दी गयी। राज्य में आईआईटी की स्थापना के लिए मेगा औद्योगिक पार्क के तहत प्रस्तावित 500 एकड़ जमीन के अधिग्रहण की योजना का कुल 120.30 करोड़ के अनुमानित व्यय पर प्रशासनिक स्वीकृति देते हुए चालू वर्ष में 50 करोड़ रुपये आधारभूत संरचना विकास प्राधिकार को रिलीज करने की मंजूरी दी गयी। वहीं एनआईटी पटना के लिए मेगा औद्योगिक पार्क के अंतर्गत प्रस्तावित 100 एकड़ भूमि अधिग्रहण योजना का कुल 28.13 करोड़ के अनुमानित व्यय पर प्रशासनिक स्वीकृति तथा चालू वर्ष में 10 करोड़ रुपये आधारभूत संरचना विकास प्राधिकार को रिलीज करने की स्वीकृति दी गयी। इससे संस्थान को नया परिसर व भवन निर्माण का रास्ता साफ होगा। नये परिसर में विभिन्न स्नातक स्तरीय अभियंत्रण पाठ्यक्रमों में सीटों की संख्या में वृद्धि होगी। चूंकि एनआईटी पटना में 50 फीसदी सीटें एआईईईई के माध्यम से राज्य के छात्रों का नामांकन होता है इसलिए सीटों की संख्या में वृद्धि के फलस्वरूप संस्थान के 50 फीसदी सीटों पर राज्य के छात्रों के नामांकन की सुविधा उपलब्ध हो जाएगी। कैबिनेट ने राज्य फिल्म विकास एवं वित्त निगम पटना के परिसमापन के प्रस्ताव को वापस लेने लेने पर अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है।