गांधीनगर। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान [इसरो] के अध्यक्ष डाक्टर जी माधवन नायर ने कहा है कि भारतीयों का चांद पर पहुंचने का स्वप्न 2015 तक हकीकत में बदल सकता है।
नायर इंडियन नेशनल कारटोग्राफिक एसोसिएशन [आईएनसीए] अंतरराष्ट्रीय कांग्रेस 2008 के 28वें तीन दिवसीय समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा किभारतीय चंद्र अभियान के तहत मानव रहित चंद्रयान-1 को सफलतापूर्वक 22अक्टूबर 2008 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से छोड़ा गया और चंद्रयान द्वितीय को 2010-11 तक छोड़ने की उम्मीद है।
नायर ने कहा कि भारत के इस अभियान को चंद्रमास अभियान या चंद्र सैर के नाम से भी जाना जाता है। चंद्रयान प्रथम आठ नवंबर को चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर जाएगा।
इस महान सफलता से भारत दुनिया का चौथा देश है जो मून क्लब मेंबर में शामिल हो जाएगा। इसके पूर्व अमेरिका, रूस और जापान ही इस क्लब में शामिल थे।
उन्होंने कहा कि भारत चार दशक से अंतरिक्ष अभियान में जुटा हुआ है। इसकी नींव प्रसिद्ध वैज्ञानिक डाक्टर विक्रम साराभाई ने रखी थी। उन्होंने कहा कि भारत आज इस क्षेत्र में कई सफलताएं हासिल कर इनसेट और आईआरएस सेटेलाइट्स के जरिये देश के अलावा अन्य कई देशों को सेवा उपलब्ध करा रहा है।
बेंगलूरू। चंद्रमा के लिए भारत का पहला मानवरहित अंतरिक्षयान चंद्रयान-1 मंगलवार सुबह चंद्रमा के अंतरिक्ष में पहुंच गया। चंद्रयान शनिवार को चंद्रमा की अपनी निर्धारित कक्षा में प्रवेश करेगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन [इसरो] के निदेशक एस सतीश ने बताया कि चंद्रयान को चंद्रमा के अंतरिक्ष में भेजने की कार्रवाई बहुत बढि़या तरीके से संपन्न हुई। सुबह पांच बजे के करीब उच्च तरल मोटर [लिक्विड एपजी मोटर, एलएएम] दागी गई। जिसने चंद्रयान को पृथ्वी से 380,000 किलोमीटर दूर चंद्रमा की ओर धकेल दिया। अब चंद्रयान चंद्रमा से 1000 किमी दूर है। गौरतलब है कि धरती से चांद की दूरी 3,84,000 किमी है। चंद्रयान-1 को आठ नवंबर को चांद की सतह से 100 किमी दूर स्थित निर्धारित कक्षा में स्थापित करने की अगली जटिल प्रक्रिया के लिए तैयारियां शीघ्र ही आरंभ की जाएगी। चंद्रयान में छह विदेशी उपकरणों सहित कुल 11 वैज्ञानिक उपकरण लगे है। इनमें अमेरिका के दो, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के तीन और बुल्गारिया का एक उपकरण शामिल है। अन्य पांच का डिजाइन और निर्माण इसरो ने किया है। चंद्रयान 29 अक्टूबर से ही पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगा रहा है। कक्षा की पृथ्वी से अधिकतम दूरी 267,000 किमी और न्यूनतम दूरी 465 किमी है। गौरतलब है कि चंद्रयान-1 को श्रीहरिकोटा के प्रक्षेपण केंद्र से 22 अक्टूबर को प्रक्षेपित किया गया था।
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